हिंदी के प्रयोग में कुंठा क्यों?

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अक्सर देखा गया है कि हिंदी भाषी लोग कुंठा से भरे होते हैं और उन्हें लगता है कि अंग्रेजी ही एक ऐसी भाषा है जो उसे रोजगार दे सकती है, समाज में इज्जत दे सकती है. इस कुंठा के कारण वे अपनी भाषा हिंदी से दूर होने लगते हैं अपनी संस्कृति से दूर होने लगते हैं, और अपने ही बारे में नकारात्मक सोच से भर जाते हैं. इस तरह के विचार से अगर हम दूर रहे तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि हिंदी की महत्ता अपरंपार है, और इससे हमें रोजगार के बहुत सारे विकल्प भी मिलते हैं, जो हम अपनी कुंठा के कारण देख नहीं पाते. इस विडियो को जरा देखिए और समझने की कोशिश करें कि कैसे एक स्पेनी मित्र , हिंदी को लेकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. वे बताते हैं कि उन्हें उनकी मातृभाषा स्पेनी में लिखना पढ़ना अच्छा लगता है लेकिन उनको हिंदी से बहुत प्यार है क्योंकि भारत में हिंदी भाषी लोगों की जनसंख्या ज्यादा है और भारत के लोगों के साथ संपर्क बनाना, उसके संस्कृति के साथ जुड़ना और समाज के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए हिंदी भाषा में उनके साथ संवाद करना बहुत ही जरूरी है. अत: ये बात तो निश्चित कि जैसे जैसे भारत विश्व पटल पर उभरकर सामने आ रहा है, वह दिन दूर नहीं लोग इसे अपनाएंगे और गर्व महसूस करेंगे. https://youtu.be/IuWLgVp5MtU

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